देवास जिले के बागली तहसील अंतर्गत बरझाई घाट में पहाड़ी की ढलान पर 2 दिन की नवजात बच्ची लहूलुहान अवस्था में मिली थी। आज आरोपित कलयुगी पिता को न्यायालय ने दस वर्ष की सजा सुनाई,
देवास नवजात बच्ची को जंगल में फेकने वाले आरोपित कलयुगी पिता को न्यायालय ने दस वर्ष की सजा सुनाई। अपर सत्र न्यायाधीश न्यायालय ने निर्णय पारित करते हुए आरोपित संतोष पिता सरदार को भा.द.स. धारा 307 अंतर्गत दस वर्ष का कारावास एवं पांच हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया।
गौरतलब है की विगत 3 अगस्त 2019 को देवास जिले के बागली तहसील अंतर्गत बरझाई घाट में पहाड़ी की ढलान पर 2 दिन की नवजात बच्ची लहूलुहान अवस्था में मिली थी। बच्ची का कलयुगी और निर्दयी पिता संतोष ने बच्ची का होंठ कटा होने के चलते पैदा होते ही जंगल में फ़ेंक गए थे। दो रात और डेढ़ दिन से ज्यादा वह बच्ची उसी जंगल में पड़ी रही। अगले दिन जंगल में बकरी चरा रहे युवक ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी तो बच्ची लावारिस अवस्था में नाले के पास मिली थी। बच्ची के शरीर पर कीड़े, कीट पतंगे लगे हुए थे। ईश्वर के चमत्कार स्वरूप बच्ची इतनी यातनाएं सहने के बाद भी मौत से लड़कर अपनी ज़िन्दगी जीत गई। डायल हैंड्रेड के सहयोग से बागली के शासकीय हॉस्पिटल में उपचार उपरांत बच्ची को देवास रेफर कर दिया गया था। पूरे मामले में तत्कालीन कलेक्टर श्रीकांत पांडे, तत्कालीन बागली एसडीएम अरविंद चौहान की सराहनीय भूमिका थी।
आज मंगलवार को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश चंद्रकिशोर बारपेटे ने 5 वर्ष पुराने प्रकरण की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। न्यायालय ने आरोपित को दोष सिद्ध पाते हुए अपराध धारा 317,307/34 भा.द.स. दस वर्ष का कारावास एवं पांच हजार के अर्थ दंड से दंडित किया। शासन की और से पूरे प्रकरण की पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक अखिलेश मंडलोई ने की।