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रतलाम में इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में बेखौफ सवारी बसों का संचालन नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है,

शहर के बस स्टैंडों से इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में बेखौफ सवारी बसों का संचालन नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। जिम्मेदार भी हादसे के समय जागकर कुछ दिन कार्रवाई का दिखावा करते है, स्थिति फिर जस की तस बन जाती है। कई बसों में हालात ऐसे नजर आते है कि सवारी को खड़े रहने की जगह नहीं होने पर भी ठूंस-ठूंस कर खड़े किया जाता है तो कई गेट पर टंगे दिखाई देते हैं। सवारी नीचे रह जाए तो बस की छत पर बिठाने से बाज नहीं आ रहे हैं। यह नजारा आए दिन बाजना बस स्टैंड, त्रिपोलिया गेट से शिवगढ़-रावटी-बाजना तक सफर के दौरान दिखता है। मुंदडी फंटा से होकर धराड़, बिरमावल, सातरूंडा अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में छोटे चार पहिया वाहन चालक महिला-पुरुष को क्षमता से अधिक भरकर ले जाते और लाते नजर आते हैं।

शहर के बाजना बस स्टैंड से रावटी-बाजना के आसपास के गांवों में पहुंचने के लिए जैन और भगवती बस सुबह 10.30 से 11 बजे के मध्य रवाना हुई। इसके पूर्व बस सवारी से ठसाठस भर चुकी थी, अंदर जैसे तैसे जगह कर सवारियों को बस कंडक्टर ने भरा, परेशान सवारियां खड़े खड़े सफर करने को मजबूर थी। जिन्हें जगह नहीं मिली उन्हें बस की छत पर सवार कर लिया। एक-एक बस पर 15 से 20 सवारी छत पर जान जोखिम में डालकर सफर करती नजर आई और चलती बस में भी सवारी रास्ते में चढ़ती जा रही थी।

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