देवास स्वच्छता सर्वेक्षण में स्थान दिलाने वाले जमीनी योद्धाओं का हो रहा शोषण कचरा वाहन चालकों को चार माह से नही मिला वेतन, ठेकेदार अब काम बंद करने का कह रहा,

देवास। स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में देवास ने देशभर में 50 हजार से 3 लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में पहला स्थान प्राप्त कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि मुख्य रूप से नगर के सफाईकर्मियों और कचरा वाहन चालकों की मेहनत का परिणाम है। लेकिन दुखद पहलू यह है कि इन जमीनी योद्धाओं को पिछले चार माह से वेतन नहीं मिला है। सामाजिक कार्यकर्ता आर.बी. भाई पटेल ने बताया कि नगर को स्वच्छता में ऊंचे पायदान पर पहुंचाने वाले सफाईकर्मियों के साथ नगर निगम सौतेला व्यवहार कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम में जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि इन कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने की बजाय उनका शोषण कर रहे हैं।
वाहन चालक शनि फतरोड़ ने बताया कि बालाजी कम्पनी का ठेकेदार चार महीने से वेतन नहीं दे रहा है और अब काम बंद करने की बात कह रहा है। ऐसे में कर्मचारियों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। उन्होंने बताया कि जनसुनवाई में आवेदन देने पर भी उन्हें सिर्फ नगर निगम भेजा गया, जहां उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कर्मचारियों का कहना है कि ठेकेदार का तर्क है कि नगर निगम आयुक्त बिल पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे, जिसके कारण वेतन अटका हुआ है। इससे बालाजी कंपनी में कार्यरत सभी कचरा वाहन चालकों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। कचरा वाहन चालकों ने स्पष्ट मांग रखी है कि उन्हें शीघ्र वेतन प्रदान किया जाए ताकि वे अपने कार्य को सुचारू रूप से जारी रख सकें। इसके साथ ही वेतन का भुगतान समय पर करने की भी मांग की गई है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न न हों। अब सवाल यह उठता है कि जब देवास को देश का सबसे स्वच्छ शहर बनाने वाले कर्मियों को ही उनका हक नहीं मिल रहा, तो क्या यह सम्मान पूर्णत: न्यायसंगत कहा जा सकता है?







