देवास महापौर और सभापति ने फुल की राजनीति की क्या एमजी रोड़ से व्यापारियों ने हटा लिया अतिक्रमण?
रक्षाबंधन के त्यौहार पर बाजार में अधिक भीड़ रही, आवागमन ह रहा प्रभावित, अतिक्रमण बन रहा सबसे बड़ी बाधा
देवास शहर में हर गली-हर मोहल्ले यहां तक की कालोनियों में भी अतिक्रमण ने पैर पसार रखे है। बाजार क्षेत्र की बात करें तो एमजी रोड़ से लेकर हर मुख्य मार्ग पर अतिक्रमण पसरा पड़ा हुआ है। अतिक्रमण हटाने के लिए जब से निगम परिषद गठित हुई है, तब से कई बार निगम सभापति, निगम महापौर ने बैठकें लेकर अधिकारियों को निर्देशित किया, बावजूद आज तक अतिक्रमण नहीं हट् पाया है। अतिक्रमण हटाने के लिए व्यापारियों को फुल की भी नौटंकी की गई और फल स्वरूप इस राजनीति की जगहंसाई हुई। सबसे पहले निगम सभापति रवि जैन ने महापौर की अनुपस्थिति में एमजी रोड़ के तमाम व्यापारियों को फुल भेट कर अतिक्रमण हटाने का अनुरोध किया, फिर भी व्यापारियों ने अतिक्रमण नही हटाया। सभापति की यह राजनीति महापौर सहीत महापौर पति को रास नहीं आई। महापौर गीता अग्रवाल व महापौर पति दुर्गेश अग्रवाल ने भी सभापति रवि जैन की नकल करते हुए बाजार में पहुंचकर व्यापारियों फुल भेंट किए। व्यापारी भी समझ गए की राजनीति हो रही है। किसी भी व्यापारी ने न तो सभापति के फुल को महत्व दिया और न ही महापौर द्वारा भेंट किए गए फुल का औचित्य
समझा। परिणाम यह रहा कि आज भी बाजार में
पहले जैसा अतिक्रमण कायम है। अभी धार्मि पर्व राखी का त्यौहार निकला है उस वक्त में बाजार में भारी भीड़ उमड़ी थी, आवागमन प्रभावित हो रहा था, मुख्य कारण यहीं है कि अतिक्रमण आवागमन के लिए बाधा उत्पन्न कर रहा है। बाजार में आने-जाने वाले लोग यही कह रहे है कि फुल भेंट करने की राजनीति करने वाले सभापति व महापौर कहां गायब हो गए है।
महापौर के गले की हड्डी बन गए साढ़े 6 करोड़
प्रदेश सरकार ने शहर के एमजी रोड़ के चौड़ीकरण, अण्डर ग्राउंड सिवरेज, अण्डर ग्राउंड बिजली के तारों की व्यवस्था, सौन्दर्यकरण आदि कार्यों के लिए साढ़े 6 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की थी। पैसा आने के पहले ही महापौर और उनके पति परमेश्वर ने इन साढ़े 6 करोड़ की राशि में बन्दर बांट मचा दी। इस राशि में कुछ हिस्सा 6 वाडों में विभाजित कर दिया। इतना होने के बाद सत्ता पक्ष के पार्षद नाराज हो गए। भाजपा पार्षदों ने भाजपा की महापौर के खिलाफ निगम परिषद की बैठक में मोर्चा खोल दिया। महिला पार्षद निगम परिषद की बैठक में तख्तियां लेकर पहुंची। पार्षदों ने कहा था कि क्या महापौर मात्र
6 वार्डों से ही चुनाव जीती थी और भी कई मुद्दों
को लेकर भाजपा पार्षदों ने महापौर पर भेदभाव
के आरोप लगा दिए। हंगामें दार परिषद की बैठक
में महापौर एक शब्द भी नहीं बोल पाई थी। कुछ
मिलाकर महापौर के लिए साढ़े 6 करोड़ की राशि
गले की हड्डी बन गई है।